भारतीय सभ्यता में ज्योतिष विज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान हमेशा से रहा है। प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषियों और वैज्ञानिकों ने आकाशीय गतियों, ग्रहों, और नक्षत्रों के गहरे अध्ययन किए हैं और उनके प्रभावों का अध्ययन किया है। यह ज्ञान उन्होंने ज्योतिष शास्त्र के रूप में संग्रहित किया, जो कि समय के साथ विकसित हुआ और परंपरागत ज्ञान के रूप में संरक्षित रहा।
प्राचीनकाल में भारतीय ऋषियों ने ब्रह्मांड की गतियों को समझने का प्रयास किया और विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभावों को व्याख्यान किया। वे चंद्रमा और सूर्य ग्रहणों की भविष्यवाणी करते थे और इनके वैज्ञानिक कारणों को भी समझने का प्रयास किया। इन ऋषियों ने भारतीय संस्कृति में ज्योतिष विज्ञान को गहराई से अध्ययन किया और इसे एक विशेष शास्त्र माना।
आधुनिक काल में भी भारतीय ज्योतिष विज्ञान ने विकास किया और वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर इसे अध्ययन किया गया। आजकल, इसे विश्वस्तरीय रूप से अध्ययन किया जा रहा है और वैज्ञानिक तरीकों से इसकी पुष्टि की जा रही है। ग्रहों की चाल और उनके संयोगों के आधार पर मौसम के पूर्वानुमान और अन्य विभिन्न प्रकृतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
इस प्रकार, भारतीय ज्योतिष विज्ञान ने प्राचीन से आधुनिक काल तक मानव समझ को ब्रह्मांडीय घटनाओं के समझने में मदद की है और यह विज्ञान आज भी एक महत्वपूर्ण और गहरा शोध विषय बना हुआ है।