भारतीय समाज में ज्योतिष शास्त्र विशेष महत्व रखता है, जिसमें कई प्रमुख और प्रख्यात ज्योतिषी ने अपने योगदान से समाज को ज्योतिषीय ज्ञान के प्रति जागरूक किया है। इन अग्रणी ज्योतिषीयों ने अपने अद्वितीय और गहरे ज्ञान के माध्यम से भारतीय संस्कृति और धार्मिकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वाराहमिहिर (Varahamihira): वाराहमिहिर भारतीय ज्योतिषीय शास्त्र के प्रमुख ग्रंथों में से एक हैं। उन्होंने ‘बृहत् संहिता’ के माध्यम से ग्रहों, नक्षत्रों, और ज्योतिषीय गणनाओं पर अपने विशेष योगदान किया। उनका ज्ञान आज भी ज्योतिषीय प्रवृत्ति और शोध में महत्वपूर्ण है।
प्तोलिमी (Ptolemy): प्तोलिमी भारतीय ज्योतिषीय विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ग्रीक ज्योतिषी थे। उनका कार्य ‘अल्मगेस्ट’ भारतीय ज्योतिषीय गणनाओं को उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत करता है और उसका प्रभाव भारतीय ज्योतिषीय शास्त्र पर अद्वितीय रहा है।
अर्यभट्ट (Aryabhata): अर्यभट्ट भारतीय गणितज्ञ और ज्योतिषी थे, जिन्होंने ग्रहों की गति, सूर्य और चंद्रमा के गति के लिए नई सिद्धांत और सूत्रों का विकास किया। उनका योगदान भारतीय ज्योतिषीय शास्त्र के विकास में अविस्मरणीय है।
विद्यालंकार (Vidyālaṅkāra): विद्यालंकार भारतीय ज्योतिषीय शास्त्र के प्रमुख ग्रंथ ‘ज्योतिषमाला’ के लेखक थे। उन्होंने विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं और योगों को समझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इन अग्रणी ज्योतिषीयों ने अपने विशेष ज्ञान और अनुभव से भारतीय ज्योतिषीय शास्त्र को समृद्ध किया है और उसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी विरासत हमारे लिए एक अमूल्य संस्कृति का हिस्सा है, जो हमें न केवल ज्योतिषीय विज्ञान के प्रति जागरूक करती है, बल्कि हमें अपने ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर की महत्वपूर्णता को भी समझाती है।