जब हम वैज्ञानिक और अवैज्ञानिक ज्ञान की बात करते हैं, तो हम दोनों के बीच विशेषता और समानताओं को समझने का प्रयास करते हैं। यहां हम देखेंगे कि इन दोनों प्रकार के ज्ञान में कुछ समानताएँ क्या होती हैं:
1. प्रमाणिकता की मांग:
वैज्ञानिक ज्ञान: इसे प्रमाणों और प्रयोगों के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, एक सिद्धांत या विचार केवल तब मान्य होता है जब इसे वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित किया जा सके।
अवैज्ञानिक ज्ञान: यह अक्सर व्यक्तिगत अनुभव या आधारभूत विश्वासों पर आधारित होता है। हालांकि इसमें भी प्रमाणित करने की कोशिश की जाती है, लेकिन यह अक्सर स्थापित वैज्ञानिक मानकों से अलग होता है।
2. विश्लेषण और अध्ययन:
वैज्ञानिक ज्ञान: वैज्ञानिक अध्ययन और विश्लेषण शांतिपूर्ण, वैज्ञानिक मेथड का उपयोग करके होता है। यह विश्लेषण प्रयोगों, निष्कर्षण, और तथ्यों के परीक्षण पर आधारित होता है।
अवैज्ञानिक ज्ञान: अवैज्ञानिक ज्ञान में अध्ययन अक्सर व्यक्तिगत अनुभव, धार्मिक ग्रंथों या रूढ़िवादों के माध्यम से किया जाता है, जिसमें वैज्ञानिक अध्ययन की प्रक्रिया नहीं होती।
3. प्रणाली का उपयोग:
वैज्ञानिक ज्ञान: वैज्ञानिक ज्ञान का अध्ययन और प्रकटीकरण विशेष प्रणालियों और तकनीकों के माध्यम से होता है जो विश्लेषण और निष्कर्षण में मदद करती हैं।
अवैज्ञानिक ज्ञान: अवैज्ञानिक ज्ञान का अध्ययन अक्सर पारंपरिक विचारधाराओं और अनुभवों के माध्यम से किया जाता है जो व्यक्तिगत या सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित होता है।
समाप्ति:
वैज्ञानिक और अवैज्ञानिक ज्ञान दोनों ही मानव समझ के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करते हैं। इन दोनों के बीच समानताएँ होने के बावजूद, उनके अन्तर के तत्व भी उन्हें अलग और विशिष्ट बनाते हैं। इसलिए, हमें इन दोनों के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझते हुए उन्हें सही समय पर सही ढंग से उपयोग करना चाहिए।