ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। ये ग्रह हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं, परंतु ये सूर्य और चंद्रमा की तरह वास्तविक ग्रह नहीं हैं, बल्कि छाया ग्रह हैं जो क्रमशः चंद्रमा के उत्तल और अवतल ध्रुवों पर स्थित होते हैं। यहां इन ग्रहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:
राहु:
- राहु को ‘अष्टम ग्रह’ कहा जाता है। यह छाया ग्रह होने के कारण अशुभ फल देने वाला माना जाता है।
- राहु का प्रभाव जीवन में उलझन, भ्रम और अस्थिरता ला सकता है।
- यह ग्रह हमारी जिज्ञासा, अस्थिरता और अनिश्चितताओं को भी दर्शाता है।
केतु:
- केतु को ‘सातवाँ ग्रह’ कहा जाता है। यह भी छाया ग्रह है और राहु का विपरीत ध्रुव है।
- केतु का प्रभाव तपस्विता, आत्म-विश्लेषण और मोक्ष की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- यह ग्रह हमारे जीवन में अनसुलझे मुद्दों, मानसिक उलझनों और आध्यात्मिक जागरण को भी प्रेरित करता है।
राहु और केतु के योग:
- राहु-केतु का मिलन या दृष्टि विशेष योग जैसे राहु महादशा और केतु महादशा जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं का कारण बन सकते हैं।
- इनके प्रभाव से विभिन्न प्रकार की समस्याएं जैसे मानसिक तनाव, अनिश्चितता, और रोग आदि उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन सही उपाय और संतुलित जीवनशैली से इनके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
उपाय और समाधान:
- राहु-केतु के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए विभिन्न ज्योतिषीय उपाय जैसे हनुमान चालीसा का पाठ, राहु-केतु के मंत्रों का जाप, नीली या सफेद वस्त्र पहनना और संबंधित ज्योतिषीय उपायों का पालन किया जा सकता है।
इस प्रकार, राहु और केतु को समझना और इन ग्रहों के प्रभावों को सही तरीके से जानना ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमारे जीवन को संतुलित और फलदायी बना सकता है।