मध्यकाल एक ऐसा काल था जब ज्योतिष और भविष्यवाणियों का प्रचलन बहुत था। इस युग में लोग ज्योतिषियों की भविष्यवाणियों पर गहरा विश्वास रखते थे और उनके वचनों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे। ज्योतिषियों ने तारों, ग्रहों, और अन्य आकाशीय घटनाओं के आधार पर भविष्य के बारे में जानकारी देने का दावा किया।
हालांकि, आजकल हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्योतिष और भविष्यवाणियों को गंभीरता से नहीं लेते। वैज्ञानिक समुदाय इसे एक प्रकार की अनुपम विश्वासशास्त्र के रूप में देखता है, जो केवल मनोवैज्ञानिक अस्थिरता पर आधारित होता है।
मध्यकाल में, ज्योतिषियों की भविष्यवाणियाँ सामाजिक, राजनीतिक, और व्यक्तिगत घटनाओं के लिए महत्वपूर्ण थीं। लोग उनके पास जाते थे ताकि वे अपने भविष्य के बारे में जान सकें और उसके अनुसार कार्रवाई कर सकें।
हालांकि, आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, ज्योतिष और उसकी भविष्यवाणियाँ को वैज्ञानिक प्रमाण से प्रमाणित नहीं किया गया है। वैदिक ज्योतिष तथा अन्य प्राचीन संस्कृति में ज्योतिष को विज्ञान और धार्मिक विश्वास का एक मिश्रण माना गया है।
इस प्रकार, हम आजकल ज्योतिष और भविष्यवाणियों को भी एक प्रकार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अध्ययन के रूप में देखते हैं, जो हमें उस समय की सोच और संस्कृति के बारे में सीखने का मौका देते हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत स्तर पर, कुछ लोग आज भी ज्योतिष के प्रति विश्वास रखते हैं और उसे अपने जीवन में मार्गदर्शन के रूप में प्रयोग करते हैं।
समाज में ज्योतिष और भविष्यवाणियों की भूमिका विविध होती आई है, और इसे समझने के लिए हमें उनके समय के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश को समझने की आवश्यकता होती है। आज के दृष्टिकोण से, ज्योतिष की भविष्यवाणियों के सच होने या न होने का निर्णय प्रत्येक व्यक्ति के अपने विश्वास और सोच पर निर्भर करता है।